मिथिला दर्शन


  • मिथिलाक प्रसिद्ध स्थल :---                        
         १.    कन्दाहक सूर्य मंदिर :-             

                            *भारत प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक विविधताओं वाला देश रहा है. इस संस्कृति के  कुछेक पहलू  अभी भी  अच्छी तरह  से ज्ञात नहीं  है. इन्ही में से एक प्राचीन सूर्य मंदिर के रूप में सहरसा jeele के कन्दाहा गाँव में मौजूद है. 
                                                   कन्दाहा एक छोटा सा गाँव है जहाँ के लोगों का मुख्य पेशा मछली पकड़ना  है. परन्तु इस गाँव को भारत के एक प्राचीनतम और अनुपम सूर्य मंदिर के swaamitv का gaurav प्राप्त है. 
                                                   इस अतुलनीय सूर्य मंदिर का निर्माण १४ वीं शताब्दी में मिथिला के राजा हरिसिंह देव ने किया था. यह सहरसा जिला मुख्यालय से लगभग १२ किलोमीटर पश्चिम में अवस्थित है . महाभारत और सूर्य पुराण के अनुसार इस सूर्य मंदिर का निर्माण 'द्वापर युग' में हो चुका था. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान् कृष्ण के पुत्र  'शाम्ब' किसी त्वचा रोग से पीड़ित थे जो मात्र यहाँ के सूर्य कूप के जल से ठीक हो सकती थी. यह पवित्र सूर्य कूप अभी भी मंदिर के निकट अवस्थित है. इस के पवित्र जल से अभी भी त्वचा रोगों के ठीक होने की बात बताई जाती है. 
                                                   यह सूर्य मंदिर सूर्य देव की प्रतिमा के कारण भी अद्भुत माना जाता है. मंदिर के गर्भ गृह में सूर्य देव विशाल प्रतिमा है, जिसे इस इलाके में ' बाबा भावादित्य' के नाम से जाना जाता है. प्रतिमा में सूर्य देव की दोनों पत्नियों 'संग्य' और 'kalh' को darshaya गया है. साथ ही 7 ghode और १४ लगाम के रथ को भी darshaaya गया है. इस प्रतिमा की एक badi visheshtaa यह है की यह बहुत ही mulaayam kale pathhar से बनी है. यह विशेषता तो कोणार्क एवं देव के सूर्य मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती. परन्तु सबसे अद्भुत एवं रहस्यमयी है मंदिर के चौखट पर उत्कीर्ण लिपि जो अभी तक नहीं पढ़ी जा सकी है. 
                                                       परन्तु दुर्भाग्य से यह प्रतिमा भी औरंगजेब काल में अन्य अनेक हिन्दू मंदिरों की तरह ही छतिग्रस्त कर दिया गया. इसी कारण से प्रतिमा का बाया हाथ , नाक और जनेऊ का ठीक प्रकार से पता नहीं चल पाता है. इस प्रतिमा के अन्य अनेक bhagon को भी औरंगजेब काल में ही todkar निकट के सूर्य कूप में फेक दिया गया था, जो १९८५ में सूर्य कूप की खुदाई के बाद मिला है.
                                                           १९८५ के बाद यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के adheen aa गया. puratatv विभाग ने मंदिर की dekh - rekh के लिए एक karmchaari को niyukt कर rakha है. परन्तु sarkaar की तरफ से इस मंदिर के जीर्णोधार एवं विकास के प्रति उपेक्छा ही बरती गयी है. वह तो यहाँ के कुछ ग्रामीणों की जागरूकता एवं सहयोग के कारण मंदिर apane वर्तमान स्वरुप में मौजूद है. इनमे नुनूं झा एवं जयप्रकाश वर्मा समेत अनेक ग्रामीणों का सहयोग सराहनीय रहा है.
                                                           इस मंदिर को बिहार सरकार के तरफ से प्रथम सहयोग तब मिला जब अशोक कुमारसिंह पर्यटन मंत्री बने. उन्होंने इस मंदिर के विकाश के लिए २००३ में ३००००० (तीन लाख ) रु० का अनुदान दिया. परन्तु यह रकम मंदिर के विकाश के leye प्रयाप्त नहीं था . फिर भी इस रकम से मंदिर परिसर को दुरुस्त किया गया . साथ ही मुख्य dwaar का निर्माण हो saka. परन्तु अभी भी इस मंदिर एवं इस pichhade गाँव के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकि है, जिससे की इस अद्भुत मंदिर की गिनती बिहार के मुख्य पर्यटन स्थल के रूप में हो सके*
                                                                      क्रमशः .................................

1 comment:

  1. kandaha hamar gaam bangaon ke bagal me chhay. kandahak surya mandir bahut prasidhh chhay....jaankari ke lel dhanyabaad.

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