भगवन श्री चित्रगुप्त जी
मसिभाजन्संयुक्ताश्चारसी त्वं !महीतले !
लेखनी - कतिनिहस्त , चित्रगुप्त नमोस्तुते !!
चित्रगुप्त ! नमस्तुभ्यम लेखाकाक्षरादयाकम !
कयास्थाजती मासाद्य चित्रगुप्त !नमोस्तुते !!
चित्रगुप्त चालीसा
भगवन श्री चित्रगुप्त जी महाराज : वैदिक दृष्टान्त
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान् श्री चितागुप्त जी महाराज कायस्थों के आदि पुरुष हैं . ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की और उसके पश्चात चार वर्णों (ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र ) की उत्पत्ति हुई . ऐसा कहा जाता है कि उसी समय ब्रह्मा जी के समक्ष धर्मराज (यमराज जी ) उपस्थित होकर अपनी मदद के लिए प्रार्थना की . धर्मराज जी को सृष्टि के जीवों के अच्छे - बुरे कर्मों के लेखा - जोखा रखने के लिए एक दैवी पुरुष की आवश्यकता थी.
ब्रह्मा जी पुनः ध्यानमग्न हो गए . 11000 वर्षों की रहस्यमयी ध्यानावस्था के बाद जब उन्होंने अपनी आँखे खोली तो उनके योग प्रताप से एक दिव्य पुरुष प्रकट हुए . उनके हाथों में कलम और दवात था . दैवी चेहरे पर तेज चमक रही थी .क्षत्रियों जैसी बलशाली भुजाएं और कमर पे चमचमाती तलवार म्यान में लटक रही थी .
ब्रह्मा जी ने कहा कि ये मेरी काया से प्रकट हुए हैं इसलिए इनके वंसज "कायस्थ " कहलायेंगे .साथ ही ये मेरी मष्तिष्क (चित) की अति गोपनीय (गुप्त ) ध्यानयोग से प्रकट हुए हैं इसलिए इनका नाम "चित्रगुप्त " होगा . ये आपके साथ मिलकर सृष्टि के जीवों के अच्छे - बुरे कर्मों का न्याय करेंगें . शास्त्र द्वारा स्थापित धर्म के विरुद्ध आचरण करने वालों को दंड और धर्म की पुनः स्थापना के लिए प्रयत्न करेंगें .
कायस्थों के लिए ये गर्व की बात है कि वे किसी पौराणिक देवता की वंश - परंपरा के रक्त -सम्बन्धी हैं .
क्रमशः ..................
चित्रगुप्त व्रत कथा (सम्पूर्ण)
jai chitragupt maharaj.....ki yau rajesh babu bloging suru k deliye...bahut nik.
ReplyDeletekono mahatvpurn samagri hoae t jarur deb. Umed aichh je site pasand bhel hait..Thanks for joiing.
Deletejai chitragupt maharaj ki....
ReplyDelete